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    उद्देश्य और कार्य

    विभाग के मुख्य कार्य खनिज अन्वेषण, भूअभियांत्रिकी कार्य एवं खनिज प्रशासन है। खनिज अन्वेषण एवं भूअभियांत्रिकी सम्बन्धी कार्य विभाग मे कार्यरत भूविज्ञान विधा के भूवैज्ञानिकों एवं खनन प्रशासन से सम्बन्धित कार्य खनन विधा के खनन अभियंताओं के द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
    खनिज अन्वेशण कार्य-खनिज अन्वेशण कार्य के अन्तर्गत भूवैज्ञानिकों द्वारा क्षेत्रीय भ्रमण कर खनिजों की उपलब्धता की सम्भावना का अध्ययन किया जाता है तथा अध्ययनोपरान्त आषातीत परिणाम प्राप्त होने पर क्षेत्र से चट्टानों के नमूने एकत्र कर उनका रासायनिक विष्लेशण, पेट्रोलोजिकल विष्लेशण आदि कराया जाता है व क्षेत्र में मानचित्रीकरण का कार्य कर मानचित्र तैयार किये जाते हैं। क्षेत्र का भू-भौतिकी विधा द्वारा भू-भौतिकी अध्ययन कर परिणाम प्राप्त किये जाते हैं। उपरोक्त समस्त अध्ययनों तथा परीक्षणों में आषातीत परिणाम प्राप्त होने पर वेधन मषीन द्वारा वेधन कार्य सम्पन्न कराकर भूमिगत चट्टानों के प्रसार, प्रकार एवं खनिजों की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त कर खनिज भण्डार की गुणवत्ता एवं मात्रा का आंकलन किया जाता है।

    खनन प्रशासन कार्य- खानों के विनियमन एवं खनिजों के विकास हेतु केन्द्र सरकार द्वारा अधिनियमित खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम-1957 के प्राविधानों के अन्तर्गत प्रख्यापित नियमावली व नीतियों के अनुसार प्रदेष सरकार द्वारा खनिज परिहार स्वीकृत किया जाता है। उत्पादित खनिजों की मात्रा के आधार पर स्वामित्व के रूप में प्रदेष सरकार को राजस्व प्राप्त होता है। खनिजों के परिहार स्वीकृत किये जाने से पूर्व तकनीकी परामर्ष तथा खनिजों की खनन योजना का अनुमोदन प्रदान किया जाता है तथा स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्रों से खनिज की निकासी प्रचलित नीति एवं नियमावली के अन्तर्गत पर्यावरण एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुये विनियमित की जाती है।

    भूअभियांत्रिकीय कार्य-भूअभियांत्रिकीय कार्य के अन्तर्गत प्रदेष की विभिन्न निर्माणकारी योजनाओं जैसे भवन, पुल, मोटर मार्ग, नहर, पेयजल योजना, विद्युत टावर इत्यादि में विभाग द्वारा शासन तथा सम्बन्धित विभाग को भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भूमि उपयुक्तता एवं स्थायित्व की तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराना, भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों का अध्ययन कर उन्हें संरक्षित करने हेतु सुझाव एवं संस्तुतियाँ शासन/ प्रशासन को प्रेषित करना है।

    उत्तराखंड के भूविज्ञान और खनन निदेशालय के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

    • उत्तराखंड के खनिज विकास क्षेत्र में स्थानीय और विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ावा देना।
    • खनिज आधारित जानकारी/डेटा और खनिज मानचित्र उद्यमियों को उपलब्ध कराना, और राज्य के खनिज संसाधनों के अन्वेषण और बाद में पर्यावरण के अनुकूल शोषण के लिए।
    • खनिज उद्योग में खनिज संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के माध्यम से प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
    • खनिजों के वैज्ञानिक विकास के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करना।
    • खनिज प्रशासन को शामिल करना, जिसमें खनिज अनुमतियाँ, खनिज राजस्व का संग्रहण, व्यवस्थित और पर्यावरण के अनुकूल खनन, खनिज संरक्षण और क्षेत्र की पारिस्थितिकी और पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुँचाना।
    • खनिज विकास के लिए सहायक आधारभूत संरचना सुविधाएँ प्रदान करना।
    • भू-पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करना और खनन संचालन के दौरान और बाद में पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में प्रकृति की सहायता करना।
    • खनन गतिविधियों में लगे लोगों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना।
    • राज्य के दूरदराज के खनिज धारण क्षेत्र में खनन और भूविज्ञान गतिविधियों के माध्यम से रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।